इक्कीसवीं सदी में उर्जा एवं बिजली के बिना जीवन अपरिकल्प्नीय, उसकी कल्पना व्यर्थ है I मोबाइल से लेकर सभी प्रकार की उत्पादन की मशीनरी बिजली पर ही निर्भर है I जिन देशों में बिजली की कमी है, वहां का उत्पादन स्तर अन्य देशों की तुलना में कम होता है, बिजली की जरूरत हर जगह है I कोयला बिजली उत्पादन का एक परंपरागत संसाधन है I विश्व में स्वच्छ-उर्जा की मांग ने फॉसिल फ्यूल के उपयोग के बारे में पुनर्विचार पर बल दिया है, जिससे पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने में मदद मिलेगी I परन्तु कोयला आधारित उर्जा उत्पादन भारत में ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व में फैला है, जिसे कम करने में अभी भी समय लगेगा I भारत ही नहीं अपितु चाइना भी कोयले और बिजली के संकट से गुजर रहा है, जिसने अपने कई उद्योग बिजली की कमी के कारण बंद कर दिए हैं I भारत में बिजली का ७०% उत्पादन कोयले से होता है I विभिन स्रोतों से ज्ञात होता है, कि पावर प्लान्टों में कोयले की कमी के मुख्य कारण अनलॉक एवं मांग में बढ़ोतरी एवं भारी वर्षा है I
पंजाब, हरयाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश उत्तरी क्षेत्र में, आंध्रप्रदेश दक्षिणी क्षेत्र में, बिहार एवं झारखंड पूर्वी क्षेत्र में एवं गुजरात पश्चिम में बिजली संकट से सर्वाधिक प्रभावित हुए है I विद्युत् नियन्त्रण नियामक पावर सिस्टम ऑपरेशन कारपोरेशन (पीओएसओसीओ) जोकि दैनिक रूप से सम्पूर्ण भारत में बिजली की मांग एवं पूर्ति के लेखा-जोखा को नियंत्रित एवं संभालता है, के अनुसार राजस्थान, हरयाणा एवं पंजाब बिजली कटौती से सबसे अधिक प्रभावित हैं, जहाँ बिजली की काफी कमी है I बिहार एवं झारखण्ड में बिजली की कमी क्रमशः ५.१२ मेगा यूनिट एवं ४.९२ मेगा यूनिट है, जिसकी वजह से आजकल १० घंटे की बिजली कि कटौती होती है I राजस्थान में १७.८९ मेगा यूनिट; पंजाब में ५.२५ मेगा यूनिट; हरयाणा में ८.७३ मेगा यूनिट एवं उत्तर प्रदेश में १.९२ मेगा यूनिट बिजली की कमी है I जम्मू एवं कश्मीर एवं लद्दाख में बिजली की कमी ३.४५ मेगा यूनिट है I गुजरात में ३.८३ मेगा यूनिट एवं आंध्रप्रदेश में ३.८४ मेगा यूनिट बिजली की कमी है I
राज्य सरकारों द्वारा नागरिकों को सन्देश दिया जा रहा है कोयले की कमी के कारण, वह बिजली कटौती के लिए तैयार रहे जब कई पावर प्लांट बंद चल रहे हैं, जबकि केन्द्र बार बार यह दोहरा रहा है कि घबराने की कोई जरुरत नहीं है I ३ पावर प्लांट महाराष्ट्र में, ४ केरला में, और ३ ही पंजाब में बंद पड़े हैं I बिजली संकट के भय से पंजाब एवं कर्नाटक के मुख्य मंत्रियो ने केन्द्र से कोयले की आपूर्ति बढ़ने कि गुहार लगायी है I केन्द्रीय उर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा है कि देश कोयले की अपनी औसत खपत से चार दिन आगे चल रहा है और इस मुद्दे पर अनावश्यक भय फैलाया जा रहा है I
कोल् इंडिया जो की विश्व में कोयला उत्पादन में आगे हैं ने कहा है की वो प्रति दिन कोयले का उत्पादन मध्य अक्टूबर से १.७ मिलियन टन से बढाकर १.९ मिलियन टन करने पर विचार कर रहा है, जोकि कोयले की कमी को दूर करने में काफी सहायक होगा I बिजली कि बढती कीमतों के कारण आयातित कोयले से उत्पादन बढ़ाना संभव हो सकता है, जिससे घरेलु उत्खननकर्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद है I देश अपनी उर्जा की मांग का तीन चौथाई कोयला देश में उत्पादित करता है और बाक़ी का कोयला ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका और इंडोनेशिया से आयत किया जाता है I
गाँव और अर्ध-शहरी इलाकों में घरेलु बिजली की आपूर्ति में राशन की व्यवस्था बिजली की समस्या को कम करने में सहायक हो सकती है, परन्तु यह सरकार के लिए अन्य चुनौतियाँ लेकर आ सकता है, जैसे सरकार की आय कम होना और बजट पर दबाव, जोकि देश की धीमी पड़ी आर्थिक गति को विपरीत रूप से प्रभावित कर सकता है और रोजगार कम कर सकता है I
बिजली की स्पॉट कीमतें, जोकि भारतीय उर्जा विनिमय लि. के जरिये बेचीं जाती है, सितम्बर में पिछले वर्ष के मुकाबले ६३% उछली जिसका औसत ४.४ रुपये ($०.०६) किलोवाट प्रति घंटा रहा जो पिछले कुछ दिनों में बढ़कर १३.९५ रूपये हो गया है I नए नियम बनाये जा रहे हैं, जिससे जो उर्जा उत्पादन करने वाली कंपनियों है अतिरेक बिजली को विनिमयों को बेंच सकेंगी जो खाली पड़े प्लान्टों में पुनर्जीवित कर सकती हैं I गुजरात में दो बड़े प्लांट टाटा पावर को. और अदानी पावर ली. ने ऊँची आयातित कोयले कि कीमतों के कारण अपने उत्पादन को स्थगित कर दिया है I
हाल के दिनों में बिजली मंत्रालय का कहना है कि कोयला आधारित प्लान्टों में कोयले की वजह से बिजली की कटौती में कमी हुई है I कोयले की कमी और बिजली आपूर्ति में गतिरोध के मद्देनजर प्राइम मिन्स्टर ऑफिस (पीऍमओ ) ने कोयला आधारित प्लान्टों में कोयले कि स्थिति का पुर्नावलोकन किया है I कोयले और बिजली मंत्रालय ने आश्वासन दिया है की बिजली की स्थिति आगे बेहतर होगी I
हांलाकि विश्व में प्राकृतिक गैस के दाम बढे हैं पर बिजली के उत्पादन में प्राकृतिक गैस का भी एक एक अहम् स्थान है I भारत के पास लगभग २५ गीगा वाट गैस आधारित उत्पादन की क्षमता है, परन्तु उस क्षमता का ८०% महंगे इंधन के कारण उपयोग में नहीं लाया जाता है I परन्तु संकट के समय इस क्षमता का उपयोग किया जा सकता है I एनटीपीसी के पास क्षमता है की जरूरत पड़ने पर वह अपना उत्पादन ३० मिनट में बढा सकता है और अगर जरूरत पड़े तो वह किसी ग्रिड से भी जोड़ा जा सकेगा I प्रदूषण प्रतिबन्ध और तेल इंधन की ऊँची कीमतों के कारण इनका बिजली के उत्पादन में प्रयोग कम ही रहने की उम्मीद है Iवैश्विक उर्जा उपभोग एवं उनकी कीमतें कोविड के प्रारंभिक महीनों में अपने ऐतिहासिक न्यून के करीब पहुँच गयी थीं, परन्तु उसके उपरान्त उन्होंने काफी उछाल मारा है I
बिजली एवं इंधन की ऊँची कीमतें सीधे-सीधे उत्पादन की लागत एवं अन्य कीमतों को प्रभावित करतीं हैं, जोकि अर्थव्यवस्था में स्फीति को बढाता है, जिससे लोगों कि वास्तविक आय कम हो जाती है और उनकी अन्य वस्तुओं और सेवाओं कि मांग कम हो जाती है, जो आर्थिक वृद्धि दर को कम कर सकता है I इसकी वजह से वह आय में बढ़ोत्तरी कि मांग करते हैं, जो और स्फीति बढ़ता हैं I स्फीति ही स्फीति की जननी होती, इसलिए सरकार को चाहिए की वह बिजली और इंधन की कीमतों को स्थिर रखे जो अर्थवयवस्था में मांग और कीमतों को अपने वश में रखेगा I
पूरा विश्व इस समय मांग में बढ़ोतरी के कारण उर्जा की कमी में जकड़ा हुआ I वर्षा ने जिसने कोयले की खदानों में बाढ़ ला दी है, उसी ने जल-उर्जा परियोजनाओं को बढ़ने में मदद भी की है I बांधों पर बड़ी जल-उर्जा परियोजनाएं, कोयले के अलावा भारत में बिजली का एक मुख्य जरिया है I
पिछले हफ़्तों से भारत में कोयले की कमी एवं बिजली कटौती पर एक गहन वाद-विवाद चल रहा है I हालांकि विशेषज्ञों का कहना है, कि कोयले की कमी के मुख्य कारण उसका कम और महंगा ट्रांसपोर्ट है और अन्य वित्तीय समस्याएँ भी है I उनका कहना है कि कोई भी सरकार ऐसी स्थिति में पड़ना नहीं चाहेगी जो कि राजनितिक दृष्टि से ठीक नहीं होगा और अंतर्रराष्ट्रीय आयामों वाला होगा और जिसके परिणाम दूर्गामी होंगे I
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